: पंचायतन देवता ध्यान मंत्र

श्री पंचायतन देवता ध्यान मंत्र / Shri Panchayatan Dhyan Mantra

श्री विष्णुध्यान

शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम् ॥ लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ।।

श्री शिवध्यान

ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं, रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्। पद्मासीनं समंतात् स्तुतममरगणैर् व्याघ्रकृत्तिं वसानं, विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम् ।।

श्री गणेश ध्यान

गजवदनमचिंत्यं तीक्ष्णदंष्ट्रं त्रिनेत्रम् । बृहदुदरमशेषं भूतिराजं पुराणम् ।। अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्णं सुरेशम् । पशुपतिसुतमीशं विघ्नराजं नमामि ।।

श्री सूर्यध्यान

ध्येयः सदा सवितृमंडलमध्यवर्ती, नारायणः सरसिजासन संनिविष्टः । केयूरवान् मकरकुंडलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः।।

श्री देवीध्यान

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।

नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ।।

  • षष्ठी पूजन

    षष्ठी पूजन

    षष्ठी पूजन


  • Panchamukhi hanumankavach |॥ श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवचम् ॥

    Panchamukhi hanumankavach |॥ श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवचम् ॥

    Panchamukhi hanumankavach॥ श्रीपञ्चमुखी हनुमत्कवचम् ॥श्री हनुमान जी ऐसी देवता है जो हमेशा अपने भक्तों का संकट निवारण करके सब के ऊपर कृपा बरसाती है. श्री पंचमुखी हनुमान कवच पढ़ने से सभी भक्तों का कष्ट, दुख ,बाधा और अशोक परिणाम दूर होकर शुभ आशीर्वाद प्राप्त होता है.


  • Nakshatra

    Nakshatra

    Nakshatra क्या है 27 नक्षत्रों का गणित, कौन से नक्षत्र का क्या होता है असर अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु पुष्य, अश्लेशा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।


  • Madhurastakam | मधुराष्टकं

    Madhurastakam |  मधुराष्टकं

    श्री कृष्ण भगवान अति प्रिय स्तोत्र | अष्टक मधुराष्टक | मधुराष्टकम Madhurastakam अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।हृदयं मधुरं, गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखiलं मधुरम् ।।१।। वसनं मधुरं, चरितं मधुरं, वचनं मधुरं वलितं मधुरम्,चलितं मधुरं, भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्।।२।। वेणर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ,नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।।३।। गीतं मधुरं पीतं मधुरं,…


  • श्रीपाद श्रीवल्लभ स्तोत्र | Shripad Shrivallabh Stotrashreepad Shreevallabh

    श्रीपाद श्रीवल्लभ स्तोत्र | Shripad Shrivallabh Stotrashreepad Shreevallabh

    श्रीपाद श्रीवल्लभ स्तोत्र | Shripad Shrivallabh Stotrashreepad Shreevallabh ॥ श्रीपाद श्रीवल्लभ स्तोत्र ॥ श्रीपाद वल्लभ गुरोः वदनारविन्दंवैराग्य दीप्ति परमोज्वलमद्वितीयम् । मन्दस्मितं सुमधुरं करुणार्द्र नेत्रंसंसार – ताप – हरणं सततं स्मरामि ।। श्रीपाद वल्लभ गुरोः करकल्पवृक्षंभक्तेष्ट – दान – निरतं रिपुसंक्षयं वै । संस्मरणमात्र चिति – जागरणं सुभद्रंसंसार – भीति – शमनं सततं भजामि ।। श्रीपाद…


  • श्री गजानन महाराज स्तोत्र | Gajanan maharaj stotra

    श्री गजानन महाराज स्तोत्र | Gajanan maharaj stotra

    श्री गजानन महाराज स्तोत्र | Gajanan maharaj stotra श्री गजानन महाराज का यह स्तोत्र भक्तों को शांति, समृद्धि और संकटों से मुक्ति दिलाने वाला है। ।। श्री गजानन महाराज स्तोत्र ।। हे सर्वाद्या सर्वशक्ती | हे जगदोद्वारा जगत्पति | साहय व्हावें सत्वरगति | या लेकराकारणें ||१|| जे जे काही ब्रम्हांडात | तें तें तुझें रुप…


Rating: 5 out of 5.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *